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Showing posts from June, 2019

सर काट दे दियो क्षत्राणी जानिए राजस्थान की महानतम वीरांगना महरानी हाड़ी रानी की महागाथा ( sar kat de diyo kshtrani know about the great queen of rajasthan hadi rani

जब हम राजस्थान के इतिहास के पन्नो को उलटते हैं तो एक ऐसी महान वीरांगना की महागाथा नज़र आने लगती हैं जिसको सुनते ही हर भारतीय के रोंगटे खड़े हो जाते हैं की राजस्थान में ऐसी महान वीरांगनाओं ने भी जन्म लिया था हाड़ी रानी सलूम्बर के सरदार राव रतनसिंह चुण्डावत की पत्नी थी , इस महान वीरांगना के बलिदान की यशोगाथा आज भी राजस्थान के हर अंचल में सुनाई पड़ती हैं , उन्होंने अपने पति  के युद्ध से आशंकित मन को शांत करने के लिए थाल में सजाकर अपना  सर भेंट कर दिया , ताकि उनके पति पूरी निष्ठां से युद्ध लड़ सकें                    चुण्डावत  मांगी सेनाणी                                                       सर काट दे दियो क्षत्राणी रानी की शादी को एक सप्ताह ही बिता था , शादी की मेहंदी भी हाथों से नहीं उत्तरी थी , और इसी बीच महाराणा राजसिंह का सन्देश प्राप्त हुआ , की औरंगजेब की सहायता के लिए आ रही मुग़...

आखिर क्यों भगवान कृष्णा अपने सर पर मोरपंख धारण करते हैं जानिए इसके पीछे की पूरी कथा After all, why Lord Krishna puts a peacock on his head, know the whole story behind it.

इसका एक जो प्रमुख कारण ये हैं सारे संसार में मोर ही एकमात्र ऐसा प्राणी माना जाता है जो अपने सम्पूर्ण जीवन में ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करता है. मोरनी का गर्भ धारण मोर के आँसुओ को पीकर होता है. अतः इतने पवित्र पक्षी के पंख को स्वयं भगवान श्री कृष्ण अपने मष्तक पर धारण करते हैं और दूसरा जो कारण हैं उसके पीछे एक कथा हैं जो भगवान श्री कृष्ण के कालखंड की हैं बचपन से ही माता यशोदा अपने लल्ला के सर पर मोर पंख को सजाती थीं. बड़े होने के बाद कृष्ण खुद भी इसे अपने सर सजाते रहे हैं, जिसका कारण है कि स्वयं भगवान भी मोर की ही तरह पवित्र हैं. भले ही उन्हें रास रचैया कहा जाता है, लेकिन वो इन सब से बहुत दूर रहे हैं. भगवान श्री कृष्ण की लीला का समय था, गोकुल में एक मोर रहता था, वह मोर बहुत चतुर था और श्री कृष्ण का भक्त था, वह श्री कृष्ण की कृपा पाना चाहता था। एक मयुर कृष्ण का दीवाना बन कर कृष्ण के द्वार पर खङा हो गया,हर पल वह गीत गाता हे साँवरे तुम ही माता,तुम ही पिता तुम ही मेरे रक्षक तेरे बिन मेरा कौन सहारा हे श्याम मुरारी!! पर समय गुजरता जाये एक दिन से ,एक वर्ष गुजरने को आया पर भगव...

जानिए राजस्थान की दिल दहला देने वाली खोफनाक और भयानक जगहों के बारे में ( Know about the horrifying misconceptions and terrifying places of Rajasthan )

राजस्थान का  नाम सुनते ही आपको रेट  के टीलो और  धुल भरी आंधियों की याद आ ही जाती हैं  लेकिन राजस्थान इतना ही नहीं , बल्कि राजस्थान में बहुत बड़े बड़े दुर्ग और  दर्शनीय स्थलों की भरमार हैं जिसके कारण ही भारत आने वाला हर तीसरा पर्यटक राजस्थान जरूर आता हैं आज हम  उसी राजस्थान के कुछ भयानक खोफनाक स्थानों के बारे में आपको जानकारी देंगे जिसके बाद अगर आप भी भूतप्रेत या नकारत्मक शक्तियों को मानने लगेंगे अगर आप इन चीज़ों को नहीं मानते हैं तो एक बार राजस्थान की इन जगहों के सैर जरुर करें आगे बढ़ने से पहले हम आपको बता दे की हमारा लक्ष्य किसी को डराना या अन्धविश्वास फेलाना नहीं बल्कि लोगो द्वारा बताई गयी या सुनी गयी बातों के आधार पर हम आपको ये जानकारी दे रहे हैं वेसे तो राजस्थान अपनी परम्पराओं , वेशभूषा , और वीरता के लिए जाना जाता हैं पर आपने कभी यह भी सोचा है, कि इस रंगीले राजस्थान में कुछ भयानक और डरावनी जगहें भी हैं. जहां जाते ही आपके चेहरे का रंग उड़ जायेगा.और राजस्थान अपने भीतर बहुत से किस्से और रहस्य समेटे हुए हैं , यहां की रंगों से भरी संस्कृति और सभ्य...

Know the miracles and mysteries of Banke Bihari ji in Kali Yuga बांके बिहारी की कहानी

if you read in english please click on translate आज हम आपको एक ऐसी पावन भूमि के सबसे प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल के बारे में पूरी जानकारी देंगें, उस पवित्र धाम का नाम हैं श्री बांके बिहारी मंदिर और उसके बाद हमारी अगली पोस्ट में हम आपको श्री धाम वृन्दावन के समस्त दर्शनीय स्थलों से अवगत कराएँगे उस परम पावन भूमि भगवान श्री कृष्ण की लीलास्थली श्रीधाम वृंदावन के बारे में मान्यता है कि एक बार जो यहां आ गया वो यही का हो कर रह जाता है अर्थात उसका तन मन बांकेबिहारी जी की छवि में खो जाता है , बांके बिहारी भगवान श्रीकृष्ण का ही एक सबसे प्रसिद्व नाम है यह मन्दिर श्री वृन्दावन धाम के एक सुन्दर इलाके में स्थित है। कहा जाता है कि इस मन्दिर का निर्माण स्वामी श्री हरिदास जी के वंशजो के सामूहिक प्रयास से संवत १९२१ के लगभग किया गया। स्वामी श्री हरिदाजी बांके बिहारी के सबसे प्रिय भक्त थे उनके भजन–कीर्तन से प्रसन्न हो निधिवन से श्री बाँकेबिहारीजी प्रकट हुये थे। स्वामी हरिदास जी का जन्म संवत 1536 में भाद्रपद महिने के शुक्ल पक्ष में अष्टमी के दिन वृन्दावन के निकट राजपुर नामक गाँव में हूआ था। इनके आराध्यदे...

untold story of chittorgarh Fort ( चितौड़गढ़ किले की अनसुलझी कहानियां )

चित्तौड़गढ़ दुर्ग   आज हम चित्तौड़गढ़ फोर्ट की कुछ अनसुनी कहानियों से पर्दा हटाने से पहले थोड़ा बहुत इस फोर्ट के इतिहास के बारे में बताना चाहेंगे तो चलिए इस महान दुर्ग के अस्तित्व की कुछ झलक देखते हैं चित्तौरगढ़ भारत के राजस्थान राज्य का एक बहुत ही सूंदर और वीरों का सिरमौर जिला हैं यहाँ पर एक से बढ़कर एक महाबलियों और महावीरों के साथ महान वीरांगनाओं ने जन्म लिया हैं चित्तौरगढ़ एक पहाड़ी पर बना विशाल दुर्ग हैं जो सबसे बड़ा आवासीय दुर्ग हैं इस जिले की प्राचीनता का पता लगाना बहुत ही कठिन कार्य हैं फिर भी हम इससे पर्दा उठाने की कोशिश करेंगें और आपको उस तथ्य से अवगत कराएँगे जो इसकी प्राचीनता को प्रमाणित करता हैं चित्तौरगढ़ जंक्शन से करीब २ मील उत्तर-पूर्व की ओर एक अलग पहाड़ी पर भारत का गौरव राजपूताने का सुप्रसिद्ध चित्तौड़गढ़ का किला बना हुआ है। समुद्र तल से 1338 फीट ऊँची भूमि पर स्थित 5०० फीट ऊँची एक विशाल (ह्वेल मछ्ली) आकार में, पहाड़ी पर निर्मित्त यह दुर्ग लगभग 3 मील लम्बा और आधे मील तक चौड़ा है। 1. चित्तौड़गढ़ का दुर्ग इस किले ने इतिहास के उतार-चढाव देखे हैं, यह इतिहास की...